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googles doodle celebrates virginia woolf birthday-राइटिंग को Sex’ की तरह मानती थीं वर्जिनिया वुल्फ, गूगल ने अंग्रेजी उपन्यासकार वर्जिनिया वुल्फ को उनके 136 वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर याद किया.वर्जिनिया वुल्फ २०वीं सदी की एक प्रतिभाशाली अंग्रेजी साहित्यकार और निबंधकार थीं. ए रूम ऑफ वन्स ओन की लेखिका वर्जिनिया वुल्फ प्रसिद्ध लेखिका, आलोचक और पर्वतारोही पिता सर स्टीफन और मां जूलिया स्टीफन की बेटी थीं. एडलीन वर्जिनिया वुल्फ का जन्म 25 जनवरी 1882 को हुआ था. वर्जिनिया वुल्फ के घर में पढ़ने-लिखने का वातावरण था. यही वजह रही वर्जिनिया का भी रुझान आरंभ से ही लिखने-पढ़ने की ओर रहा. वुल्फ ने बचपन में इंग्लिश क्लासिक्स और विक्टोरियन लिटरेचर को पूरी तरह से पढ़ा और समझा.उनके घर में बुद्धिजीवियों की आवाजाही होती रहती थी. . वर्जिनिया वुल्फ ब्रिटिश लेखिका थीं और दुनिया भर में टॉप फेमिनिस्ट राइटर्स के बीच खास पहचान भी रखती हैं. उनका जन्म 25 जनवरी, 1882 को लंदन में हुआ था और वे बचपन से ही साहित्य में रच-बस गई थीं. उन्होंने इंग्लिश क्लासिक्स से लेकर विक्टोरियन लिटरेचर तक को पढ़ा और दुनिया भर में महिलाओं को लेखन और जीवन जीने के बिंदास सूत्र दिए. वे न सिर्फ पश्चिम में ही लोकप्रिय थीं, बल्कि दुनिया भर में उनकी लेखनी का जादू सिर चढ़कर बोला. वर्जिनिया वुल्फ के यादगार कोट उन्हें आज भी लोकप्रिय बनाए हुए हैं, और उनकी कही बातें आज भी भविष्य के राइटर्स के लिए सूत्र वाक्य हैं. आइए पढ़ते हैं ऐसे ही ये पांच बातें जो आपको बेहतरीन लेखक बनाने की दिशा में ले जा सकते हैंःवर्जिनिया की अधिकतर स्मृतियां कॉर्नवाल की हैं, जहां वह अक्सर गर्मीयों की छुट्टियां बिताने जाती थीं. टु द लाइटहाउस इन्हीं स्मृतियों की प्रमुख देन थी. वर्जिनिया जब 13 साल की थीं तभी उनके सिर से मां का साया उठ गया. मां के आकस्मिक निधन होने के बाद ही 2 साल बाद वर्जिनिया की बहन और पिता का निधन हो गया. इसके बाद वर्जिनिया का गहरे अवसाद में आ गई. वर्जिनिया का जीवन तमाम उतार चढ़ाव का रहा. वर्जिनिया ने इसके बाद भी कई महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की. शारीरिक रूप से बहुत दुर्बल होने के कारण उनकी पढ़ाई-लिखाई घर पर ही हुई. इसके बाद उनकी पढ़ाई किंग्स कॉलेज लंदन में हुई और महिलाओं की उच्च् शिक्षा को लेकर आवाज उठाने वाले पहले लोगों में से वे एक थीं. उन्होंने अध्यापन कार्य आरंभ किया. 30 वर्ष की आयु में वुल्फ ने लोयोनार्ड वुल्फ से विवाह किया. वुल्फ ने डायरी, जीवनियां, उपन्यास, आलोचना सभी तरह की रचनाएं की. लेकिन वुल्फ का प्रिय विषयवस्तु स्त्री विमर्श रहा.वर्जिनिया वुल्फ महत्वपूर्ण पुस्तक ए रूम ऑफ वन्स ओन बहुत लोकप्रिय रहीं. वुल्फ के पति लियोनार्ड यहूदी थे. 1940 के दूसरे विश्वयुद्ध में नाजियों के हमले के दौरान वुल्फ दंपती ने बहुत परेशान का सामना किया. वुल्फ के पति लियोनार्ड यहूदी थे. इस बात से नाजी उनके पति से बहुत नफरत करते थे. हमले के दौरान उनका प्रेस भी नष्ट कर दिया गया. प्रेस के नष्ट होने के बाद अवसाद की स्थिति में उन्होंने 28 मार्च 1949 में नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. वुल्फ ने अपने लेखन की शुरूआत 1900 में की. उनका पहला उपन्यास द वॉयज आउट 1915 में प्रकाशित हुआ. इस उपन्यास को उनके पति लियोनार्ड वुल्फ के प्रकाशन संस्थान हॉगर्थ प्रेस ने छापा था. उनकी प्रमुख रचनाओं में मिसेज डैलोवे (1925) टू द लाइटहाउस 1927, ऑरलैंडो (1928) जाने जाते हैं. वुल्फ का कहना था कि औरतों का फिक्शन लिखना है तो औरत के पास अपना पैसा और कमरा होना चाहिए. “लिखना सेक्स की तरह है. पहले आप इश्क की खातिर करते हैं, फिर दोस्तों के लिए करते हैं और फिर पैसों के लिए करने लगते हैं. “”महिला होने के नाते मेरा कोई देश नहीं है. एक महिला होने के नाते पूरी दुनिया मेरा देश है.”कुछ लोग धर्म गुरुओं के पास जाते हैं. कुछ शायरी का दामन थामते हैं. मैं अपने दोस्तों के पास जाती हूं.” “अगर आप अपने बारे में सच नहीं कह सकते तो आप दूसरों के बारे में भी सच नहीं पाएंगे.””अगर आप चाहें तो अपनी लाइब्रेरी को ताला मार सकते हैं, लेकिन आपकी मानसिक आजादी को कैद कर सके ऐसा कोई गेट, ताला या बोल्ड नहीं है.”वर्जिनिया वुल्फ की किताब ‘ऑरलैंडो’ पर 1992 में फिल्म बनी थी जिसमें टिंडा स्विल्टन ने काम किया था. फिल्म को सैली पोटर ने डायरेक्ट किया था और आईएमडीबी पर इसे 7.2 की रेटिंग हासिल है. यही नहीं, ‘मिसेज डैलोवे’ पर फिल्म भी बन चुकी है. 1997 में बनी इस फिल्म को काफी पसंद किया गया था और इसे बेहतरीन फिल्म भी बताया गया था. उनकी कई कहानियों को टीवी पर उकेरा गया. उनके लेटर्स पर ‘वीटा और वर्जीनिया’ पर पोस्ट प्रोडक्शन में काम चल रहा है.]]>

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